Development of Computer (कंप्यूटर का
विकास)
Abacus:-
Computer का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है| जब चीन में एक calculation Machine Abacus का अविष्कार हुआ था यह एक Mechanical Device है जो आज भी चीन, जापान सहित एशिया के अनेक देशो में अंको की गणना के लिए काम आती थी| Abacus तारों का एक फ्रेम होता हैं इन तारो में बीड (पकी हुई मिट्टी के गोले) पिरोये रहते हैं प्रारंभ में Abacus को व्यापारी Calculation करने के काम में Use किया करते थे यह Machine अंको को जोड़ने, घटाने, गुणा करने तथा भाग देने के काम आती हैं|
Computer का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है| जब चीन में एक calculation Machine Abacus का अविष्कार हुआ था यह एक Mechanical Device है जो आज भी चीन, जापान सहित एशिया के अनेक देशो में अंको की गणना के लिए काम आती थी| Abacus तारों का एक फ्रेम होता हैं इन तारो में बीड (पकी हुई मिट्टी के गोले) पिरोये रहते हैं प्रारंभ में Abacus को व्यापारी Calculation करने के काम में Use किया करते थे यह Machine अंको को जोड़ने, घटाने, गुणा करने तथा भाग देने के काम आती हैं|
Blase Pascal:-
शताब्दियों के बाद अनेक अन्य यांत्रिक मशीने अंकों की
गणना के लिए विकसित की गई । 17 वी शताब्दी में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Baize
Pascal) ने एक यांत्रिक अंकीय गणना
यंत्र (Mechanical Digital Calculator) सन् 1645 में विकसित किया गया । इस मशीन को एंडिंग
मशीन (Adding Machine) कहते थे, क्योकि यह केवल जोड़ या घटाव कर
सकती थी । यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धान्त पर कार्य करती थी । उसमें कई दाँतेयुक्त चकरियाँ (toothed
wheels) लगी होती थी जो घूमती रहती थी
चक्रियों के दाँतो पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे प्रत्येक
चक्री का एक स्थानीय मान होता था जैसे –इकाई, दहाई, सैकड़ा आदि इसमें एक चक्री के घूमने
के बाद दूसरी चक्री घूमती थी Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline
भी कहते हैं|
Jacquard’s
Loom:-
सन् 1801 में फ्रांसीसी बुनकर (Weaver) जोसेफ जेकार्ड (Joseph
Jacquard) ने कपड़े बुनने के ऐसे लूम (Loom) का अबिष्कार किया जो कपड़ो में
डिजाईन (Design) या पैटर्न (Pattern) को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्डो से नियंत्रित
करता था | इस loom की विशेषता यह थी
की यह कपडे के Pattern को Cardboard
के छिद्र युक्त पंचकार्ड से
नियंत्रित करता था पंचकार्ड पर चित्रों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति द्वारा धागों
को निर्देशित किया जाता था|
Charles Babbage:-
कप्यूटर के इतिहास में 19 वी शताब्दी को प्रारम्भिक समय का स्वर्णिम युग माना
जाता है । अंग्रेज गणितज्ञ Charles Babbage ने एक यांत्रिक गणना मशीन (Mechanical
Calculation Machine) विकसित करने
की आवश्यकता तब महसूस की जब गणना के लिए बनी हुई सारणियों में Error आती थी चूँकि यह Tables हस्त निर्मित (Hand-set)
थी इसलिए इसमें Error आ जाती थी |
चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 में एक मशीन का निर्माण किया
जिसका व्यय ब्रिटिश सरकार ने वहन किया । उस मशीन का नाम डिफरेंस इंजिन (Difference
Engine) रखा गया, इस मशीन में गियर और साफ्ट लगे
थे । यह भाप से चलती थी । सन् 1833 में Charles
Babbage ने Different
Engine का विकसित रूप Analytical
Engine तैयार किया जो बहुत ही
शक्तिशाली मशीन थी | बैवेज का
कम्प्यूटर के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा हैं । बैवेज का एनालिटिकल इंजिन
आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना और यही कारण है कि चार्ल्स बैवेज को कमप्यूटर
विज्ञान का जनक कहा जाता हैं |
Dr. Howard Aiken’s Mark-I:-
सन् 1940 में विद्युत यांत्रिक कम्प्यूटिंग (Electrometrical
Computing) शिखर पर पहुँच चुकी थी ।IBM के चार शीर्ष इंजीनियरों व डॉ.
हॉवर्ड आइकेन ने सन् 1944 में एक मशीन विकसित किया यह विश्व का सबसे पहला “विधुत यांत्रिक कंप्यूटर” था और इसका official
Name– Automatic Sequence Controlled Calculator रखा गया। इसे हार्वर्ड विश्वविद्यालय को सन् 1944 के फरवरी माह में भेजा
गया जो विश्वविद्यालय में 7 अगस्त 1944 को प्राप्त हुआ | इसी विश्वविद्यालय में इसका नाम
मार्क- I पड़ा| यह 6
सेकंड में 1 गुणा व 12 सेकंड में 1 भाग कर सकता था|
A.B.C.
(Atanasoff – Berry Computer) :-
सन् 1945 में एटानासोफ़ (Atanasoff) तथा क्लोफोर्ड बेरी (Clifford berry) ने एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन का
विकास किया जिसका नाम ए.बी.सी.(ABC) रखा गया| ABC शब्द Atanasoff
Berry Computer का संक्षिप्त रूप हैं | ABC सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल
कंप्यूटर (Electronic Digital Computer) था |
Generation
of Computer’s
Types of Computer (कंप्यूटर के
प्रकार)
Computer को तीन आधारों पर वर्गीकृत किया गया हैं|
1.
कार्यप्रणाली के आधार पर (Based on Mechanism)
2.
उद्देश्य के आधार पर (Based on Purpose)
3.
आकार के आधार पर (Based on Size)
Based on Mechanism:-
कार्यप्रणाली के आधार पर इन्हें
तीन भागो Analog, Digital, and Hybrid में वर्गीकृत किया गया हैं|
·
Analog Computer:-
Analog
Computer वे Computer
होते है जो भौतिक मात्राओ, जैसे- दाब (Pressure),
तापमान (Tempressure),
लम्बाई (Length),
ऊचाई (Height)
आदि को मापकर उनके परिमाप अंको
में व्यक्त करते है ये Computer किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते है जैसे- थर्मामीटर |
Analog Computer मुख्य रूप से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में
प्रयोग किये जाते है क्योकि इन क्षेत्रो में मात्राओ का अधिक उपयोग होता हैं| उदाहरणार्थ, एक पट्रोल पम्प में लगा Analog
Computer, पम्प से निकले पट्रोल कि मात्रा
को मापता है और लीटर में दिखाता है तथा उसके मूल्य कि गणना करके Screen पर दिखाता हैं|
·
Digital Computer:-
Digit का अर्थ होता है अंक | अर्थात Digital Computer वह Computer
होता है जो अंको कि गणना करता
है Digital Computer वे Computer है जो व्यापार को चलाते है, घर का वजट तैयार करते है औ प्रकार के Computer
किसी भी चीज कि गणना करके “How
Many” (मात्रा में कितना) के आधार पर
प्रश्न का उत्तर देता हैं|
·
Hybrid Computer:-
Hybrid Computer का अर्थ है अनेक गुण धर्मो वाला होना | अत: वे Computer
जिनमे Analog
Computer or Digital Computer दोनों के गुण हो Hybrid Computer कहलाते है जैसे- पेट्रोल पम्प की मशीन भी एक Hybrid
Computer हैं|
Based on Purpose:- Computer
को उद्देश्य के आधार पर दो भागो
में Special Purpose और General Purpose के आधार पर वर्गीकृत किया गया हैं|
·
Special Purpose:-
Special Purpose Computer ऐसे Computer है जिन्हें किसी विशेष कार्य के लिये तैयार किया जाता है इनके C.P.U. की क्षमता उस कार्य के अनुरूप होती
है जिसके लिये इन्हें तैयार किया जाता हैं|जैसे- अन्तरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, उपग्रह संचालन, अनुसंधान एवं शोध, यातायात नियंत्रण, कृषि विज्ञान, चिकित्सा आदि |
·
General Purpose:-
General Purpose Computer ऐसे Computer है जिन्हें सामान्य उद्देश्य के लिये तैयार किया गया
है इन Computer में अनेक प्रकार के कार्य करने कि क्षमता होती है इनमे उपस्थित C.P.U. की क्षमता तथा कीमत कम होती हैं| इन Computers
का प्रयोग सामान्य कार्य हेतु
जैसे- पत्र (Letter) तैयार करना, दस्तावेज (Document)
तैयार करना,
Document को प्रिंट करना आदि के लिए किया
जाता हैं|
Based on Size:-
Computer को आकार के आधार पर हम निम्न श्रेणियों में बाँट सकते
है –
·
Super Computer:-
ये सबसे अधिक गति वाले Computer व अधिक क्षमता वाले Computer
हैं| इनमे एक से अधिक C.P.U. लगाये जा सकते है व एक से अधिक
व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते हैं| ये Computer सबसे महँगे होते है व आकार में बहुत बड़े होते हैं|
नोट:- भारत मे सुपर कंप्यूटर के जनक पदम श्री डॉ. विजय भाटकर जी को
कहा जाता है.
वर्ल्ड का पहला सुपर कंप्यूटर सन 1976 kray-१ था.जो अमेरिका ने बनाया
था.इंडिया मे पहला सुपर कंप्यूटर 1992 परम१०००० था (by
C-DAC [Centre for Development of Advanced Computing])
Fastest
supercomputer in the world and India : कुछ समय पहले june2017 मे 48वी top500 list जारी की गयी ऐवम उनके अनुसार China का Sunway
Taihulight सबसे तेज process
करने वाला computer
है | इस पर Linux
(Raise) OS and SW26010 processor installed है |
·
Mini Computer:-
Micro Computer से कुछ अधिक गति व मेमोरी वाले Computer
Mini Computer कहलाते है इनमे एक से अधिक C.P.U. हो सकते है व ये Micro
Computer से महँगे होते हैं|मिनी Computer
का उपयोग यातायात में यात्रियों
के लिये आरक्षण-प्रणाली का संचालन और बैंको के बैंकिंग कार्यों के लिये होता हैं|
Main Frame Computer, Mini Computer से कुछ अधिक गति व क्षमता वाले Computer
Main Frame Computer कहलाते हैं|ये Computer
आकार में बहुत बड़े होते है इनमे
अत्यधिक मात्रा के Data पर तीव्रता
से Process करने कि
क्षमता होती है इसीलिए इनका उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंको, रेल्वे आरक्षण, सरकारी विभाग द्वारा किया जाता हैं|
·
Micro Computer:-
इस Computer को Micro Computer दो कारणों से कहा जाता है पहला इस Computer में Micro
Processor का प्रयोग किया जाता है दूसरा
यह Computer दूसरे Computer कि अपेक्षा आकार में छोटा होता है Micro Computer आकार में इतना छोटा होता है कि
इसको एक Study Table अथवा एक Briefcase में रखा जाता सकता हैं| यह Computer सामान्यतःसभी प्रकार के कार्य कर सकता है इसकी कार्य
प्रणाली तो लगभग बड़े कंप्यूटर्स के सामान ही होती है परन्तु इसका आकार उनकी तुलना
में कम होता हैं| इस Computer
पर सामान्यतः एक ही व्यक्ति
कार्य कर सकता हैं|
·
Desktop Computer:-
Desktop Computer एक ऐसा Computer है जिसे Desk पर सेट किया जाता है इसमें एक C.P.U.,
मोनिटर (Monitor),
कि-बोर्ड (keyboard),
तथा माउस (Mouse) होते हैं| इन्हें हम अलग अलग देख सकते हैं|
Desktop Computer की कीमत कम होती है परन्तु इसे
एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल होता हैं|
1.
Input Device:-
Input Device वे Device होते है जिनके द्वारा हम अपने
डाटा या निर्देशों को Computer में Input करा सकते हैं|
Computer में कई Input
Device होते है ये Devices
Computer के मस्तिष्क को निर्देशित करती
है की वह क्या करे? Input Device कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के
लिये हमारे पास Keyboard होते है, जो हमारे निर्देशों को Type करते हैं|
“Input
Device वे Device है जो हमारे निर्देशों या
आदेशों को Computer के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं|”
Input Device कई प्रकार के होते है जो निम्न
प्रकार है –
·
Keyboard
·
Mouse
·
Joystick
·
Trackball
·
Light pen
·
Touch screen
·
Digital Camera
·
Scanner
·
Digitizer Tablet
·
Bar Code Reader
·
Bar Code Reader
·
OMR
·
OCR
·
MICR
·
ATM etc.
Input Device वे
Device होते है जिनके द्वारा हम अपने डाटा या
निर्देशों को Computer में Input करा
सकते हैं| इनपुट डिवाइस कंप्यूटर तथा मानव के मध्य
संपर्क की सुविधा प्रदान करते हैं| Computer में
कई Input Device होते है ये Devices Computer के मस्तिष्क को निर्देशित करती है की वह क्या करे?
Input Device कई रूप में उपलब्ध है तथा सभी के
विशिष्ट उद्देश्य है टाइपिंग के लिये हमारे पास Keyboard होते
है, जो हमारे निर्देशों को Type करते हैं|
“Input Device वे Device है
जो हमारे निर्देशों या आदेशों को Computer के मष्तिष्क, सी.पी.यू. (C.P.U.) तक पहुचाते हैं|”
Input Device कई
प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार है –
- Keyboard
- Mouse
- Joystick
- Trackball
- Light pen
- Touch screen
- Digital Camera
- Scanner
- Digitizer Tablet
- Bar Code Reader
- OMR
- OCR
- IMCR
- ATM
की-बोर्ड (Keyboard)
की-बोर्ड कंप्यूटर का एक पेरिफेरल है जो
आंशिक रूप से टाइपराइटर के की-बोर्ड की भांति होता हैं| की-बोर्ड
को टेक्स्ट तथा कैरेक्टर इनपुट करने के लिये डिजाइन किया गया हैं| भौतिक रूप से, कंप्यूटर का की-बोर्ड आयताकार होता हैं|
इसमें लगभग 108 Keys होती
हैं| की-बोर्ड में कई प्रकार की कुंजियाँ (Keys)
होती है जैसे- अक्षर (Alphabet), नंबर
(Number), चिन्ह (Symbol), फंक्शन
की (Function Key), एर्रो की (Arrow Key) व कुछ विशेष प्रकार की Keys भी
होती हैं|
हम की-बोर्ड की संरचना के आधार पर इसकी
कुंजियो को छ: भागो में बाँट सकते है-
- एल्फानुमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric
Keys)
- न्यूमेरिक की-पैड (Numeric Keypad)
- फंक्शन की (Function Keys)
- विशिष्ट उददेशीय कुंजियाँ (Special
Purpose Keys)
- मॉडिफायर कुंजियाँ (Modifier Keys)
- कर्सर कुंजियाँ (Curser Keys)
एल्फानुमेरिक कुंजियाँ (Alphanumeric
Keys):- Alphanumeric Keys की-बोर्ड के केन्द्र में स्थित होती हैं|
Alphanumeric Keys में Alphabets (A-Z), Number
(0-9), Symbol (@, #, $, %, ^, *, &, +, !, = ), होते
हैं| इस खंड में अंको, चिन्हों,
तथा वर्णमाला के अतिरिक्त चार कुंजियाँ Tab, Caps,
Backspace तथा Enter कुछ
विशिष्ट कार्यों के लिये होती हैं|
न्यूमेरिक की-पैड (Numeric
Keypad):- न्यूमेरिक की-पैड (Numeric
Keypad) में लगभग 17 कुंजियाँ
होती हैं| जिनमे 0-9 तक
के अंक, गणितीय ऑपरेटर (Mathematic
operators) जैसे- +, -. *, / तथा
Enter key होती हैं |
फंक्शन की (Function
Keys):- की-बोर्ड के सबसे ऊपर संभवतः ये 12
फंक्शन कुंजियाँ होती हैं| जो
F1, F2……..F12 तक होती हैं| ये
कुंजियाँ निर्देशों को शॉट-कट के रूप में प्रयोग करने में सहायक होती हैं| इन Keys के कार्य सॉफ्टवेयर के अनुरूप बदलते
रहते हैं|
विशिष्ट उददेशीय कुंजियाँ (Special
Purpose Keys):- ये कुंजियाँ कुछ विशेष कार्यों को करने
के लिये प्रयोग की जाती है| जैसे- Sleep, Power, Volume,
Start, Shortcut, Esc, Tab, Insert, Home, End, Delete, इत्यादि|
ये कुंजियाँ नये ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ विशेष कार्यों के
अनुरूप होती हैं|
मॉडिफायर कुंजियाँ (Modifier
Keys):- इसमें तीन कुंजियाँ होती हैं, जिनके नाम SHIFT, ALT, CTRL हैं|
इनको अकेला दबाने पर कोई खास प्रयोग नहीं होता हैं, परन्तु जब अन्य किसी कुंजी के साथ इनका प्रयोग होता हैं तो ये
उन कुंजियो के इनपुट को बदल देती हैं| इसलिए
ये मॉडिफायर कुंजी कहलाती हैं|
कर्सर कुंजियाँ (Cursor
Keys):- ये चार प्रकार की Keys होती हैं UP, DOWN, LEFT तथा
RIGHT | इनका प्रयोग कर्सर को स्क्रीन पर मूव
कराने के लिए किया जाता है|
की-बोर्ड के प्रकार
साधारण कीबोर्ड (Normal
Keyboard)
तार रहित की-बोर्ड (Wireless
Keyboard)
अरगानोमिक की-बोर्ड (Ergonomic
Keyboard)
साधारण कीबोर्ड:- साधारण कीबोर्ड वे कीबोर्ड होते हैं, जो
सामान्य रूप से प्रयोग (Use) किये जाते हैं, जिसे
User अपने PC में
प्रयोग करता हैं | इसका आकार आयताकार होता है, इसमें लगभग 108 Keys होती
हैं एवं इसे Computer से Connect करने
के लिए एक Cable होती हैं जिसे CPU से जोडा जाता हैं|
तार रहित की-बोर्ड:- तार रहित की-बोर्ड (Wireless Keyboard) प्रयोक्ता
(User) को की- बोर्ड में तार के प्रयोग से
छुटकारा दिलाता है | कुछ कंपनियों ने तार रहित की-बोर्ड का
बाजार में प्रवेश कराया है| यह की-बोर्ड सीमित दूरी तक कार्य करता
है| यह तार रहित की-बोर्ड थोडा महँगा होता
है तथा इसमें थोड़ी तकनीकी जटिलता होती है| इसमें
तकनीकी जटिलता होने के कारण इसका प्रचलन बहुत अधिक नहीं हो पाया है|
अरगानोमिक की-बोर्ड:- बहुत सारी कंपनियों ने एक खास प्रकार के की-बोर्ड का निर्माण
किया है, जो प्रयोक्ता (User) को टाइपिंग करने में दूसरे की-बोर्ड की अपेक्षा आराम देता है|
ऐसे की-बोर्ड अरगानोमिक की-बोर्ड (Ergonomic Keyboard)
कहलाते है ऐसे की-बोर्ड विशेष तौर पर
प्रयोक्ता (User) की कार्य क्षमता बढाने के साथ साथ
लगातार टाइपिंग करने के कारण उत्पन्न होने वाले कलाई (Wrist) के दर्द को कम करने में सहायता देता है |
माउस (Mouse)
वर्तमान समय में माउस सर्वाधिक प्रचलित Pointer
Device है, जिसका
प्रयोग चित्र या ग्राफिक्स (Graphics) बनाने
के साथ साथ किसी बटन (Button) या मेन्यू (Menu) पर
क्लिक करने के लिये किया जाता है | इसकी सहायता से हम की-बोर्ड का प्रयोग
किये बिना अपने पी.सी. को नियंत्रित कर सकता है |
माउस में दो या तीन बटन होते है जिनकी
सहायता से कंप्यूटर को निर्देश दिये जाते है| माउस
को हिलाने पर स्क्रीन पर Pointer Move करता
है| माउस के नीचे की ओर रबर की गेंद (Boll)
होती है| समतल
सतह पर माउस को हिलाने पर यह गेंद घुमती है|
माउस के कार्य:-
- क्लिकिंग (Clicking)
- डबल क्लिकिंग (Double Clicking)
- दायाँ क्लिकिंग (Right Clicking)
- ड्रैगिंग (Dragging)
- स्क्रोलिंग (Scrolling)
माउस के प्रकार:- माउस प्रायः तीन प्रकार के होते है |
- मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse)
- प्रकाशीय माउस (Optical Mouse)
- तार रहित माउस (Cordless Mouse)
मैकेनिकल माउस (Mechanical
Mouse): मैकेनिकल माउस (Mechanical
Mouse) वे माउस होते है| जिनके
निचले भाग में एक रबर की गेंद लगी होती है जब माउस को सतह पर घुमाते है तो वह उस
खोल के अंदर घुमती है माउस के अंदर गेंद के घूमने से उसके अंदर के सेन्सर्स (Censors)
कंप्यूटर को संकेत (Signal) देते
है
प्रकाशीय माउस (Optical
Mouse):- प्रकाशीय माउस (Optical Mouse) एक नये प्रकार का नॉन मैकेनिकल (non-mechanical) माउस है | इसमें प्रकाश की एक पुंज (किरण) इसके
नीचे की सतह से उत्सर्जित होती है जिसके परिवर्तन के आधार पर यह ऑब्जेक्ट (Object)
की दूरी, तथा गति तय करता है |
तार
रहित माउस (wireless Mouse):- तार
रहित माउस (Cordless Mouse) वे माउस है जो आपको तार के झंझट से
मुक्ति देता है| यह रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio
frequency) तकनीक की सहायता से आपके कंप्यूटर को
सूचना कम्युनिकेट (Communicate) करता हैं| इसमें
दो मुख्य कम्पोनेंट्स ट्रांसमीटर तथा रिसीवर होते है ट्रांसमीटर माउस में होता है
जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (Electromagnetic) सिग्नल
(Signal) के रूप में माउस की गति तथा इसके क्लिक
किये जाने की सूचना भेजता है रिसीवर जो आपके कंप्यूटर से जुड़ा होता है उस सिग्नल
को प्राप्त करता है |
जॉयस्टिक (Joystick)
यह डिवाइस (Device) वीडियो गेम्स खेलने के काम आने वाला इनपुट डिवाइस (Input
Device) है इसका प्रयोग बच्चो द्वारा प्रायः
कंप्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है| क्योकि
यह बच्चो को कंप्यूटर सिखाने का आसान तरीका है| वैसे
तो कंप्यूटर के सारे खेल की-बोर्ड द्वारा खेले जा सकते है परन्तु कुछ खेल तेज गति
से खेले जाते है उन खेलो में बच्चे अपने आप को सुबिधाजनक महसूस नहीं करते है इसलिए
जॉयस्टिक का प्रयोग किया जाता है |
ट्रैकबाल (Trackball)
ट्रैक बोंल एक Pointing input
Device है| जो
माउस (Mouse) की तरह ही कार्य करती है | इसमें एक उभरी हुई गेंद होती है तथा कुछ बटन होते है| सामान्यतः पकड़ते समय गेंद पर आपका अंगूठा होता है तथा आपकी
उंगलियों उसके बटन पर होती है| स्क्रीन पर पॉइंटर (Pointer) को घुमाने के लिये अंगूठा से उस गेंद को घुमाते है ट्रैकबोंल (Trackball)
को माउस की तरह घुमाने की आवश्यकता नहीं होती इसलिये यह
अपेक्षाकृत कम जगह घेरता है | इसका प्रयोग Laptop, Mobile तथा Remold में किया जाता हैं |
लाइट पेन (Light Pen)
लाइट पेन (Light Pen) का प्रयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर कोई चित्र या ग्राफिक्स बनाने
में किया जाता है लाइट पेन में एक प्रकाश संवेदनशील कलम की तरह एक युक्ति होती है|
अतः लाइट पेन का प्रयोग ऑब्जेक्ट के चयन के लिये होता है|
लाइट पेन की सहायता से बनाया गया कोई भी ग्राफिक्स कंप्यूटर पर
संग्रहित किया जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार इसमें सुधार किया जा सकता है |
टच स्क्रीन (Touch Screen)
टच स्क्रीन (Touch Screen) एक Input Device है|
इसमें एक प्रकार की Display होती
है| जिसकी सहायता से User किसी Pointing Device की
वजह अपनी अंगुलियों को स्थित कर स्क्रीन पर मेन्यू या किसी ऑब्जेक्ट का चयन करता
है| किसी User को
कंप्यूटर की बहुत अधिक जानकारी न हो तो भी इसे सरलता से प्रयोग किया जा सकता है | टच स्क्रीन (Touch Screen) का
प्रयोग आजकल रेलवेस्टेशन, एअरपोर्ट, अस्पताल,
शोपिंग मॉल, ए.टी.ऍम. इत्यादि में होने लगा है |
बार-कोड रीडर (Bar code
reader
बार-कोड रीडर (Bar code reader) का प्रयोग Product के
ऊपर छपे हुए बार कोड को पढ़ने के लिये किया जाता है किसी Product के ऊपर जो Bar Code बार-कोड
रीडर (Bar code reader) के द्वारा उत्पाद की कीमत तथा उससे
सम्बंधित दूसरी सूचनाओ को प्राप्त किया जा सकता हैं|
स्कैनर (Scanner)
स्केनर (Scanner) एक
Input Device है ये कंप्यूटर में किसी Page पर बनी आकृति या लिखित सूचना को सीधे Computer में Input करता है इसका मुख्य लाभ यह है कि User
को सूचना टाइप नहीं करनी पड़ती हैं|
ओ.एम.आर. (OMR)
ओ.एम.आर. (OMR) या
ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader) एक
ऐसा डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति
को जांचता है इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित प्रकाश को
जांचा जाता है| जहाँ चिन्ह उपस्थित होगा कागज के उस भाग
से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी | ओ.एम.आर.
(OMR) किसी परीक्षा की उत्तरपुस्तिका को
जाँचने के लिये प्रयोग की जाती है| इन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र में
वैकल्पिक प्रश्न होते हैं |
ओ.सी.आर. (OCR)
ऑप्टिकल कैरेक्टर रेकोग्निशन (Optical
Character Recognition) अथवा ओ.सी.आर.(OCR) एक ऐसी तकनीक है | जिसका
प्रयोग किसी विशेष प्रकार के चिन्ह, अक्षर,
या नंबर को पढ़ने के लिये किया जाता है इन कैरेक्टर को प्रकाश
स्त्रोत के द्वारा पढ़ा जा सकता हैं| ओ.सी.आर
(OCR) उपकरण टाइपराइटर से छपे हुए कैरेक्टर्स,
कैश रजिस्टर के कैरक्टर और क्रेडिट कार्ड के कैरेक्टर को पढ़
लेता हैं| ओ.सी.आर (OCR) के
फॉण्ट कंप्यूटर में संग्रहित रहते है | जिन्हें
ओ.सी.आर. (OCR) स्टैंडर्ड कहते हैं|
ए.टी.एम.(ATM)
स्वचालित मुद्रा यंत्र या ए.टी.एम. (Automatic
Teller Machine) ऐसा यंत्र है जो हमे प्रायः बैंक में,
शॉपिंग मौल में, रेलवे
स्टेशन पर, हवाई अड्डों पर, बस
स्टैंड पर, तथा अन्य महत्वपूर्ण बाजारों तथा
सार्वजनिक स्थानों पर मिल जाता हैं| ए.टी.एम.
की सहायता से आप पैसे जमा भी कर सकते है, निकाल
भी सकते है, और बैलेंस भी चेक कर सकते है| ए.टी.एम. की सुबिधा 24 घंटे
उपलब्ध रहती है|
एम.आई.सी.आर.(MICR)
मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकोग्निशन (Magnetic
Ink Character Recognition) व्यापक रूप से बैंकिंग में प्रयोग होता
है, जहाँ लोगो को चेकों की बड़ी संख्या के
साथ काम करना होता हैं| इसे संक्षेप में एम.आई.सी.आर.(MICR)
कहाँ जाता हैं| एम.आई.सी.आर (MICR) का प्रयोग चुम्बकीय स्याही (Megnatic Ink) से छपे कैरेक्टर को पढ़ने के लिये किया जाता हैं| यह मशीन तेज व स्वचलित होतीहैं साथ ही इसमें गलतियां होने के
अवसर बिल्कुल न के बराबर होते हैं|
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